अरावली पर्वत श्रृंखला केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी पृथ्वी की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार इसका निर्माण लगभग 1.9 अरब वर्ष पहले हुआ था — जब न हिमालय अस्तित्व में था, न आज का भारतीय उपमहाद्वीप।
यह पर्वतमाला दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात से होकर उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगभग 800 किलोमीटर तक फैली हुई है।
भारत की जलवायु और अरावली का गहरा संबंध
अरावली भारत की जलवायु प्रणाली की रीढ़ रही है।
यह:
• मानसून की हवाओं को मोड़कर उत्तर भारत तक वर्षा पहुँचाती है
• थार मरुस्थल को पूर्व की ओर बढ़ने से रोकती है
• सर्दियों में मध्य एशिया से आने वाली ठंडी हवाओं को नियंत्रित करती है
• गंगा और सिंधु नदी तंत्र के बीच प्राकृतिक जल-विभाजक का काम करती है
यानी अरावली के बिना भारत की जलवायु असंतुलित हो जाएगी।
दिल्ली-NCR के फेफड़े क्यों कहलाती है अरावली
अरावली क्षेत्र दिल्ली-NCR के लिए प्राकृतिक एयर फ़िल्टर है।
यहाँ की वनस्पति:
• प्रदूषण को सोखती है
• तापमान को संतुलित करती है
• भूजल पुनर्भरण (Groundwater Recharge) करती है
इस क्षेत्र में:
• 300+ देशी पौधों की प्रजातियाँ
• 120+ पक्षी प्रजातियाँ
• 200+ वन्यजीव आवास क्षेत्र मौजूद हैं
इसलिए अरावली को दिल्ली-NCR का Lungs कहा जाता है।
अरावली का विनाश — असली कारण
सबसे बड़ा कारण है — अवैध खनन (Illegal Mining)।
Forest Survey of India और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट बताती हैं कि अरावली क्षेत्र में हजारों अवैध खनन साइट्स सक्रिय हैं।
डायनामाइट से पहाड़ों को उड़ाया जा रहा है, जंगल काटे जा रहे हैं, और प्रशासनिक संरक्षण के कारण माफिया बेखौफ काम कर रहे हैं।
कानून मौजूद हैं, फिर भी पहाड़ क्यों टूट रहे हैं?
• 1992 की Aravalli Notification
• सुप्रीम कोर्ट के 2002, 2005, 2009, 2018 के आदेश
• NGT के निर्देश
सब मौजूद हैं।
समस्या कानून की नहीं — राजनीतिक इच्छाशक्ति की है।
कुछ राज्यों ने तो अरावली की परिभाषा ही बदलने की कोशिश की ताकि निर्माण और खनन को वैध बनाया जा सके।
अगर अरावली खत्म हुई तो भारत पर क्या असर पड़ेगा
• भूजल स्तर और गिरेगा
• राजस्थान-हरियाणा में पानी का संकट बढ़ेगा
• मरुस्थलीकरण तेजी से फैलेगा
• वन्यजीव गलियारे टूटेंगे
• दिल्ली-NCR में प्रदूषण और हीट-वेव और बढ़ेगी
यानी नुकसान सिर्फ पहाड़ों का नहीं — पूरे देश का है।
अरावली को बचाने का समाधान क्या है?
• अवैध खनन पर Zero Tolerance नीति
• कानूनों का ईमानदार क्रियान्वयन
• अरावली को National Ecological Heritage घोषित किया जाए
• स्थानीय समुदाय की भागीदारी
• विकास + पर्यावरण = संतुलन
विकास ज़रूरी है —
लेकिन पर्यावरण की लाश पर खड़ा विकास टिकता नहीं।
निष्कर्ष — अरावली बचेगी तो भारत बचेगा
अरावली करोड़ों वर्षों से खड़ी है —
लेकिन हमारी नीतियों और लालच के सामने कमजोर पड़ रही है।
अगर आज हमने अरावली को नहीं बचाया,
तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी माफ नहीं करेंगी।
अरावली को बचाना कोई विकल्प नहीं — यह हमारी जिम्मेदारी है।