रक्षाबंधन 2025 कब है?
रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है कि यह 8 अगस्त को है या 9 अगस्त को। पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
पूर्णिमा तिथि का समय:
प्रारंभ: 8 अगस्त 2025, दोपहर 2:12 बजे
समाप्ति: 9 अगस्त 2025, दोपहर 1:24 बजे
इसलिए राखी बांधने का शुभ समय 9 अगस्त को रहेगा।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Rakhi Muhurat 2025)
शुभ समय: 9 अगस्त को सुबह 5:21 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक
भाद्रपद मास की शुरुआत: दोपहर 1:24 के बाद, जो शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए राखी इसी समय के अंदर बांधनी चाहिए।

2025 का रक्षाबंधन क्यों है विशेष?
इस साल रक्षाबंधन पर एक ऐसा खगोलीय संयोग बन रहा है जो 95 वर्षों में एक बार आता है। इस दिन सौभाग्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और श्रवण नक्षत्र का मिलन हो रहा है, जो इसे एक कॉस्मिक जैकपॉट बना देता है।
1. सौभाग्य योग:
यह योग समृद्धि, सफलता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इस समय कोई भी शुभ कार्य करने से विशेष लाभ मिलता है।
2. सर्वार्थ सिद्धि योग:
यह योग सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला होता है। नए काम की शुरुआत, रिश्तों को मजबूत बनाने और पूजा-पाठ के लिए यह समय सर्वोत्तम माना गया है।
3. श्रवण नक्षत्र:
यह नक्षत्र आस्था, भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। इस दिन किया गया रक्षा-सूत्र बंधन, रिश्तों को और भी गहरा बनाता है।
रक्षाबंधन का आध्यात्मिक महत्व
रक्षाबंधन केवल राखी बांधने का पर्व नहीं है, यह पारंपरिक संस्कार, आस्था और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का संगम है। बहनें जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, तो वे उसके जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करती हैं। इस वर्ष सितारे भी इस पर्व को और खास बना रहे हैं।
राखी स्पेशल हेल्दी रेसिपी
अगर आप अपने भाई या बहन को कुछ खास और हेल्दी खिलाना चाहते हैं, तो सूखे मेवे की लड्डू (Dry Fruits Ladoo) एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह टेस्टी होने के साथ-साथ सेहतमंद भी होता है और बिना ज्यादा समय लिए आसानी से बन जाता है।
रक्षाबंधन 2025 न केवल भाई-बहन के प्रेम का पर्व है, बल्कि यह एक दुर्लभ खगोलीय योग के साथ आ रहा है, जो परिवार में सुरक्षा, सफलता और समृद्धि का अवसर भी लेकर आएगा। इसलिए इस पावन अवसर पर पूरे मन और श्रद्धा से राखी बांधें और इस अनोखे योग का लाभ उठाएं।