क्या सच में खत्म हो रहा है भारत का गेमिंग सपना? और इसमें सरकार की क्या भूमिका है?

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August 21, 2025

क्या आपने हाल ही में यह विचार किया है कि शायद आपका पसंदीदा गेम—Dream11, रम्मी, या पोकर—अब दूसरे दिन इंटरनेट से गायब हो सकते हैं? यह डर अब महज कल्पना नहीं, बल्कि एक वास्तविक राजनीतिक और कानूनी मारपीट का हिस्सा बन गया है।

अभी हाल ही में, भारत सरकार ने Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025 पर मुहर लगा दी है, और यह बिल “real-money games” यानी असली पैसे वाली गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की दिशा में पहला कदम है । लोकसभा ने इस बिल को चुटकियों में पास कर दिया—कुछ घंटों के भीतर, बिना किसी व्यापक चर्चा या बहस के ।

इस बिल के ज़रिए सरकार ने यह साफ कर दिया है: कोई भी ऐसा गेम जिसमें पैसों का लेन-देन हो—चाहे वह skill-based हो या chance-based—वो अब गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है । यहाँ तक कि fantasy sports जैसे Dream11 और MPL भी अब online money games की श्रेणी में आ रहे हैं—जिसका मतलब है कि इन पर प्रतिबंध लग सकता है ।

सरकार का तर्क है कि यह कदम ऑनलाइन धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, युवा-लत, और मानसिक व वित्तीय खतरों को कम करने के लिए आवश्यक है । वहीं, बिल में एक महत्वपूर्ण अपवाद ही सिर्फ e-sports को छोड़कर—उसे बढ़ावा देने की नीति अपनाई गई है ।

लेकिन यह कदम इतना सरल नहीं—गवर्नमेंट की इस पहल ने गेमिंग इंडस्ट्री में हड़कंप मचा दिया है। इंडस्ट्री एसोसिएशन्स ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस blanket ban से होने वाले उद्योग संकट और करीब ₹20,000 करोड़ तक के टैक्स नुकसान की चेतावनी दी है । खासकर यह ध्यान देने योग्य है कि ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में अब तक लाखों लोगों की नौकरी, करोड़ों निवेश, और बढ़ते स्टार्ट-अप वेंचर इसमें शामिल हैं।

इस नए बिल की मुख्य धाराएँ हैं:

Real-money games का पूरी तरह बंद।

ट्रांज़ेक्शन की फिस्कल और बैंकिंग सुविधा पर रोक—जब तक कि प्लेटफ़ॉर्म लाइसेंस प्राप्त न हो।

ई-स्पोर्ट्स, सोशल गेम्स, और skill-games (बिना दांव-पैसे के) को बढ़ावा ।

उल्लंघन पर कड़ी सजाएं—जेल तक 3 वर्ष और ₹1 करोड़ तक का जुर्माना ।

इस प्रकार, यह बिल भारत में गेमिंग का भविष्य ही बदल सकता है। क्या यह कदम समाज और युवाओं को सुरक्षित रखने के लिए सही है? या फिर यह गेमिंग इंडस्ट्री—जिसमें लाखों यूज़र्स और करोड़ों रुपये जुड़े हैं—को बिना सुनवाये नष्ट करने जैसा है? यही वही सवाल हैं, जो इस ब्लॉग के अंत तक पाठकों के मन में गूंजते हैं।

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